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Noor-e-Siyahi

 

नूर -- सियाही

 

लेखक

यश श्रीवास्तव

 

सह-लेखक

जूही नामदेव

 

 

 

 

रेख़्ता बुक्स

 

 

 

 

 

आमुख

 

"नूर--सियाही" नामक पुस्तक जीवन की कहानी पर आधारित है। समझ को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए। इस पुस्तक में 32 अध्याय हैं जिन्हें दो लेखकों यश श्रीवास्तव और जूही नामदेव ने बेहतर समझ हासिल करने के लिए योगदान दिया है।

एक किताब नहीं है बल्कि यह लेखक की भावनाएं हैं जो उन्होंने महसूस किए हैं l उन्होंने अपने जीवन की भावनाओं एवं जीवन के सफर को इस किताब के माध्यम से बताया है l प्रस्तुत है शाइ'रों जो अपनी भाव−भावना दृष्टि और अपने लफ़्जों की दिलकशी से आपके दिल−दिमाग़ पर अपनी छाप छोड़े बग़ैर नहीं रहेंगी।

हम इस मूल्यवान पुस्तक के लिए भगवान और हमारे माता-पिता को धन्यवाद देते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

यह पुस्तक

 

 

 

यश श्रीवास्तव

राम नगरीचित्रकूट” से हैं I बैचलर इन फार्मेसी में बंसल कॉलेज, भोपाल, मध्य प्रदेश से शिक्षा प्राप्त की I वह न्यूट्रीशन ऑफिसर के पद पर नेस्ले इंडिया मैं कार्य करते हैं I

उनकी रूचि लेखन में है I वह अपनी शायरियां और कविताएं सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर करते हैं I

 

जूही नामदेव

झीलों की नगरीभोपालशहर से हैं I मास्टर्स इन फार्मेसी ब्रांचफार्मास्यूटिक्स में एलएनसीटी कॉलेज, भोपाल, मध्य प्रदेश से शिक्षा प्राप्त की I ड्रग सेफ्टी एसोसिएट के पद पर टाटा कंसल्टेंसी, पुणे मैं कार्य करती हैं I

रिसर्च के क्षेत्र में अनेक अनु शोध किए तथा इस क्षेत्र में यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड, रिसर्च एक्सीलेंस अवॉर्ड, नेशनल आइकन अवार्ड एवं अनेक अवार्ड प्राप्त किए I वह पहले 5 फार्मेसी लिटरेचर की पुस्तकें प्रकाशित कर चुकी हैं I यह प्रथम समय नॉन लिटरेचर में पुस्तक लिखी l


क्रमांक

विषय

 

पृष्ठ क्र.

किस्सा - -जिंदगी

8

आवारा

11

उल्फत

12

चित्रकूट

13

अल्फाज दिल

15

माँ

17

जस्बात

18

उलझन

21

दिल की बात

23

भोपाल

24

चाय

26

हुस्न की मलिका

28

इश्क़ वाली मोहब्बत

30

चाहतों का सिलसिला

32

बारिश

34

इश्क़ की कश्ती

36

इंतजार

37

मौसम

38

गुस्ताखियां

40

उम्मीद

42

कुछ मंगू अगर

44

अधूरी मुलाकात - एक ख्याल

46

अनजान

48

शायद

50

बीती रात

52

भीगी पलकें

53

अलविदा

55

तलाश

57

आंखों में नमी

58

अनकही दास्तान

60

आंखों में सवेरे

62

खयालों की तलाश

63

वह मुसाफिर थे

65

फिर जीले जिंदगी

66

नई दास्तान

67

 

 

 

 

 

 

किस्सा जिंदगी

 

ख्वाहिशों के साहिल में,

मनमर्जियां को डुबकियां लगाने दो I

तनहाइयों को इतराने दो I

प्यार की फिजाओं को बलखाने दो I

लम्हों को वक्त के साथ,

अठखेलियां करने दो I

मासूम दिल को कुछ,

गुस्ताखियां करने दो I

अपनी उम्र को,

नादानियां करने दो I

कभी-कभी जिंदगी भी तुमसे,

कुछ कहानियां करने दो I

अपनी खुशियों को भी थोड़ा,

 

आवारागर्दी करने दो I

आखिर में जिंदगी को खुद पर,

कुछ मेहरबानियां करने दो II

 

जिंदगी मिलती है सिर्फ एक बार,

इस जिंदगी में अलग-अलग है,

सब के मौसम II

 

किसी के हिस्से में हैं खुशियां,

तो किसी के हिस्से में है गम,

अकेले तुम नहीं हो,

जिसकी आंखें नम है II

 

Impressum

Tag der Veröffentlichung: 19.06.2022

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